महाराणा प्रताप से जुड़े 20 अनोखे रोचक तथ्य | 20 Interesting Facts about Maharana Pratap

Interesting Facts about Maharana Pratap in Hindi : महाराणा प्रताप के ऐसे वीर थे जिनकी वीरता को यह दुनियां कभी भी नहीं भुला सकती।

दोस्तों क्या आप जानते है? महाराणा प्रताप के सिर्फ भाले का वजन ही 80 किलो था, महाराणा प्रताप ने अपना घोडा चेतक के चेहरे पर हाथी का मुखौटा लगा कर रखा करते थे । महाराणा प्रताप के बारे मे ऐसे 1 या 2 नहीं पूरे 20 Interesting Facts शेयर करूनग इस विडिओ मे।

महाराणा प्रताप के बारे में शंक्षिप्त विबरण – Maharana Pratap Brief History

महाराणा प्रताप का जन्म मेवाड़ में 9 मई 1540 को हुआ था। महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया उदयपुर, मेवाड में सिसोदिया राजपूत राजवंश के राजा थे। महाराणा प्रताप वीरता, बहादुरी और युद्ध कला के लिए जाने जाते थे। उन्होंने मुगलों को युद्ध में धूल चटा दी । वो उन शूरवीरों में हैं जिन्होंने आखिरी सांस तक मेवाड़ की रक्षा की। इस आर्टिकल में हम महाराणा प्रताप से जुडी कुछ अनोखे तथ्यों के बारे में जानेंगे।

Maharana pratap quotes hindi dunia
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Interesting Facts about Maharana Pratap | महाराणा प्रताप के जुड़े रोचक तथ्य


1- महाराणा प्रताप को बचपन में कीका के नाम से जाना जाता था। इनका पूरा नाम महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया था।

2- महाराणा प्रताप का कद 7 फीट 5 इंच थी ये काफी लम्बे कद काठी के थे, ये भारत के सबसे मजबूत योद्धाओं में से एक थे। और इनका वजन 110 किलो से भी अधिक था।

3 – महाराणा प्रताप के भाले का वजन ही 80 किलो, उनकी दो तलवारो का वजन 208 किलोग्राम, और सिर्फ उनका कवच लगभग 72 किलोग्राम भारी था।

4 – महाराणा प्रताप की 11 पत्नियां थीं, जिसमें से महारानी अजाब्दे पंवार उनकी पसंदीदा थीं।

5- महाराणा प्रताप के 17 बेटे और 5 बेटियां थीं। उनके सभी विवाह राजनीतिक गठबंधन थे।

6 – हल्दीघाटी के युद्ध में मेवाड़ की सेना का नेतृत्व महाराणा प्रताप ने किया था। इस युद्ध भील सेना के सरदार राणा पूंजा भील थे, और हकीम खाँ सूरी, हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की तरफ से लड़ने वाले एकमात्र मुस्लिम सरदार थे।

7 – हल्दी भाटी लड़ाई मे 80,000 की मुगल सेना के खिलाफ महाराणा प्रताप के पास मात्र 22, 000 की सेना के साथ भी, लेकिन फिर भी महाराणा प्रताप ने बहादुरी से लड़ी। लेकिन वह अपने भाई द्वारा विश्वासघात के कारण यह युद्ध हार गया। लेकिन वह अंत तक मेवाड़ की रक्षा के लिए लड़े।

8- सम्राट अकबर ने 30 सालों तक महाराणा प्रताप को बंदी बनाने की कोशिश की परंतु उन्हें सफलता नहीं मिली।

9- सम्राट अकबर ने एक बार कहा था कि महाराणा प्रताप और जयमल यदि उनके साथ हो जाएं तो अकबर विश्व का सबसे शक्तिशाली राजा बन सकता है।

10- हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल बाद 1985 में भी उस जगह तलवारे पाई गई।

11- महाराणा प्रताप का घोड़ा, चेतक, अपने स्वामी के प्रति वफादारी के लिए जाना जाता है। चेतक एक बहुत ही ताकतवर घोड़ा था। दौड़ते वक्त उसकी रफ्तार बहुत तेज हो जाती थी।

12- चेतक घोड़े की सबसे खास बात थी कि, महाराणा प्रताप ने उसके चेहरे पर हाथी का मुखौटा लगा कर रखते था। ताकि युद्ध के मैदान में दुश्मनों के हाथियों को कंफ्यूज किया जा सके।

13- हर युद्ध में चेतक घोड़े ने महाराणा का साथ निभाया था। एक बार युद्ध में चेतक ने अपना पैर हाथी के सिर पर भी रख दिया था। हालांकि हाथी से उतरते समय चेतक का एक पैर हाथी की सूंड में बंधी तलवार से कट गया। और पैर कटे होने के बावजूद महाराणा को सुरक्षित स्थान पर लाने के लिए चेतक बिना रुके पांच किलोमीटर तक दौड़ा। यहां तक कि उसने रास्ते में पड़ने वाले 100 मीटर के दरिया को भी एक छलांग में पार कर लिया। जिसे मुगल की सेना पार ना कर सकी।

maharana pratap fighting in haldighati on chetak horse
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14- महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक का मंदिर भी बना है जो हल्दी घाटी पर स्थित है।

15- सम्राट अकबर से लोहा लेने के लिए महाराणा प्रताप ने अपना महल, सोना चांदी, ऐशो आराम छोड़ 20 वर्ष तक मेवाड़ के जंगलों में घूमे थे, मायरा की गुफा में महाराणा प्रताप ने कई दिनों तक घास की रोटियां खा कर वक्त गुजारा था। और जंगलों में उन्होंने दिन रात तलवारें बनाने का काम किया। लोहार जाति के हजारों लोग भी उनके साथ शामिल हो गए थे।

16- महाराणा उदय सिंह ने युद्ध की नयी पद्धति -छापा मार युद्ध प्रणाली इजाद की। वे स्वयं तो इसका प्रयोग नहीं कर सके परन्तु महाराणा प्रताप ,महाराणा राज सिंह और छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस युद्ध प्रणाली का सफलपूर्वक प्रयोग करते हुए मुगलों पर विजय प्राप्त की।

17- महाराणा प्रताप के विरुद्ध हल्दीघाटी में पराजित होने के बाद स्वयं अकबर ने जून से दिसंबर 1576 तक तीन बार अपनी विशाल सेना के साथ महाराणा प्रताप पर आक्रमण किए, परंतु वो महाराणा प्रताप को खोज नहीं पाए, बल्कि महाराणा प्रताप के बनाये हुए जाल में फंस गए और पानी तथा भोजन के कमी के कारन अपनी बिशाल सेना का विनाश करवा बैठे।

18 – महाराणा प्रताप अपने जीवनकाल में कई बड़ी से बड़ी लड़ाइयां बहादुरी से लड़ी और जीवित रहे, लेकिन कहते हैं न आखिरी समय कैसे भी आ ही जाता है। महाराणा प्रताप की मृत्यु 29 जनवरी 1597 को हुई थी। वो शिकार करते समय वह दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे। मरने से पहले महाराणा प्रताप ने अपना खोया हुआ 85 प्रतिशत मेवाड़ फिर से जीत लिया था। और ऐसा माना जाता है की महाराणा प्रताप की मृत्यु पर अकबर भी रो पड़ा था।

19 – महाराणा प्रताप को भारत का प्रथम स्वतंत्रता सेनानी भी कहा जाता है।

20- सबसे पहले 1946 में जयंत देसाई के निर्देशन में महाराणा प्रताप नाम से श्वेत-श्याम फिल्म बनी थी। 2013 में सोनी टीवी ने ‘भारत का वीर पुत्र – महाराणा प्रताप’ नाम से धारावाहिक प्रसारित किया था जिसमें बाल कुंवर प्रताप का किरदार फैसल खान और महाराणा प्रताप का किरदार शरद मल्होत्रा ने निभाया था।

दोस्तों आशा करता हु की इस आर्टिकल से आपको knowledge के साथ साथ Motivation भी जरूर मिल होगा।

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1 Comment
  1. Reply
    Anshuman Singh Chundawat June 8, 2024 at 5:30 pm

    Some information provided here is false and missleading.
    Maharana Pratap never ate “ghas ki roti”,it is just an imagination of the poet,no such thing happened in history.

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